रात बीतेगी
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रात बीतेगी

2010-03-23
अँधेरा.... रात गहरी है, रात बहरी है ! बहुत समझाया कि सो जा ! रे मन थके ग़मगीन मन ज़िन्दगी के खेल में हारे हुए दुर्भाग्य के मारे हुए रे दरिद्र मन सो जा ! रात सोने के लिए है सपने सँजोने के लिए है, कुछ क्षणों को अस्तित्व खोने के लिए है, तारिकाओं से भरी यह रात परियों-साथ सोने के लिए है ! सो ! दर्द है, और सूनी रात बेहद सर्द है ! जीवन नहीं अपना रहा, अब न बाक़ी देखना सपना रहा ! रात... जगने के लिए है ! ..... बेचैनियों की भट्ठियों में फिर-फिर सुलगने के लिए है ! रात.... गहरी रात
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