वारी बनवारी पर वारी, वारी वारी वारी.... कितनी सुन्दर पंक्तियाँ हैं श्री कृष्ण के लिए। यह संकीर्तन जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज के संकीर्तन ग्रन्थ 'युगल रस' में पाया जा सकता है। जिस कीर्तन की पहली पंक्ति इतनी मनोहर है, उस कीर्तन की बाकी पंक्तियाँ कैसी होंगी !
आज हमारा सौभाग्य है कि जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज की senior प्रचारक, सुश्री योगेश्वरी देवी जी हमारे साथ हैं इस कीर्तन को detail में समझाने के लिए।
ध्यान इस इस पॉडकास्ट को सुनिए कि कितने दिव्य और सुंदरता से भी सुन्दर हैं हमारे श्यामसुन्दर!