सुग्रीव का व्यक्तित्व मोह और आसक्तियों को दर्शाता है। प्रभु का मित्र होने के बाद भी मोह, लालच और आसक्तियों को त्यागने में सुग्रीव को कठनाइयाँ हुई। ऐसा ही हमारा जीवन भी है। हम सोचते हैं कि हम मंदिर जा कर, आरती कर के, अगरबत्ती दिखा के प्रभु के भक्त बन सकते हैं। परंतु ऐसा है नहीं।
Create your
podcast in
minutes
It is Free