सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 17 जनवरी को गौरी को हाईकोर्ट में प्रोन्नत करने की सिफारिश की थी, लेकिन उनकी नियुक्ति तब विवादास्पद बन गई, जब मद्रास हाईकोर्ट के वकीलों ने उन पर ईसाइयों और मुसलमानों के खिलाफ ‘नफरती भाषण’ देने का आरोप लगाते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ से सिफारिश को वापस लेने की मांग की. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गईं. इनमें से एक सीनियर एडवोकेट आर. वैगई ने दायर की थी, जिसमें उनकी पदोन्नति की सिफारिश को चुनौती दी गई थी.