साबरमती आश्रम का अस्तित्व ख़तरे में - महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी
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भाजपा सरकार ने गुजरात के अहमदाबाद शहर में स्थित साबरमती आश्रम को 1200 करोड़ रुपये की लागत से पुन: विकसित करने की योजना बनायी है. महात्मा गॉंधी ने दक्षिण अफ़्रीका से लौटकर
1915 में अहमदाबाद शहर के अंदर कोचरब आश्रम और 1917 में साबरमती आश्रम की स्थापना की थी .
महात्मा गॉंधी ने इसी साबरमती से आश्रम लगभग पंद्रह वर्षों तक स्वतंत्रता आंदोलन का संचालन किया .
पूरे भारत की जनता को ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ बग़ावत में शामिल करने वाले नमक सत्याग्रह के लिए विश्वविख्यात दॉंडी मार्च यहीं साबरमती आश्रम से शुरू हुआ. इसके बाद अंग्रेज़ी हुकूमत के दमन के विरोध में गॉंधी ने इस आश्रम का परित्याग कर दिया और महाराष्ट्र के वर्धा ज़िले में सेवा ग्राम में अपना नया ठिकाना बनाया .
साबरमती आश्रम और सेवाग्राम दोनों जगह गांधी के साथ की अद्भुत थी गांधी बहुत साधारण से खपरैल के घर में रह तहत है हाँ और आश्रम मैं स्वयं में सभी काम मैं ऐसा बटा तहत है संभवता इसलिए वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि आने वाले पीढ़ी या शायद अब विश्वास नहीं करेगी के हाड़ मांस का ऐसा भी पुतला आया कभी जन्मा था गांधी ये बहुत काम और वस्तुओं से आप लाख काम चलाते थे कपड़ा भी नाम मात्र का ही पहनते थे आप आज़ादी के इतने दिनों बाद भी महात्मा गांधी कई आश्रम हमारे अस्पताल तथा आंदोलन के धरोहर है विरासत है और अबे भी लाखों करोड़ों लोगों को अपर्णा देते हैं जो अहिंसा और शांति माय तरीक़ों से समाज परिवर्तन का काम करने में लगे हैं या करना चाहते हैं लेकिन ऐ लोगों को सरकार के नए प्लान से बहुत सारी आशंकाएं है सरकार में साफ़ तौर पर यह नहीं बताया है ये 12, सौ करोड़ रुपया की लागत से वह साबरमती आश्रम में क्या निर्माण करना चाहती है जो भी निर्माण होगा उसे सरकार ने वर्ल्ड क्लास की संज्ञा दी है . इसका मतलब कि जलियाँवाला बाग़ की तरह यहाँ भी क़ीमती पत्थरों से आश्रम को सजाया सँवारा जाएगा.
एक तरह से जो जगह सत्याग्रह और सादगी का प्रतीक है और उसे एक बड़े विशाल हैं टूरिस्ट कॉम्पलेक्स में बदल दिया जाएगा .
सरकार ने अभी तक अपनी योजना का ख़ुलासा नहीं किया है.
अख़बारों में छपी खबरों से चिंतित होकर बहुत से लोगों ने सरकार को पत्र भेजे हैं कि
साबरमती आश्रम का जो मौलिक स्वरूप बचा है उसमें छेड़-छाड़ न की जाये. खबरों के मुताबिक़ सरकार ने साबरमती आश्रम के रीडेवलपमेंट के लिए अपने उसी आर्किटेक्ट को काम सौंपा है जो दिल्ली में नई संसद , नया प्रधानमंत्री आवास और बनारस काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण कर रहा .
सरकार के इस विवादास्पद प्रोजेक्ट के बारे में बारे में BBC के पूर्व संवाददाता राम दत्त त्रिपाठी ने महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी से लंबी बातचीत की .
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