जब हम किसी व्यक्ति या चीज़ से जुड़े होते हैं तो उसके छिन जाने यह दूर हो जाने का हमें दुख होता है । लेकिन यदि हम किसी चीज़ को ख़ुद से अलग करके देखते हैं तो दुख हमें छूता तक नहीं है ।इसलिए दु खी होना या न होना पड़ता हमारी सोच और मानसिकता पर निर्भर करता है।।
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